ज़िन्दगी की तरफ…
जब रूह किसी बोझ से थक जाती है,
एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है,
मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन,
ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।
हँसकर बिता लें जिंदगी…
कल न हम होंगे न कोई गिला होगा,
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा,
जो लम्हे हैं चलो हँसकर बिता लें,
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
आफत है जिंदगी…
मौत से कैसा डर… मिनटों का खेल है,
आफत तो जिंदगी है बरसों चला करती है।
शिकायत नहीं ऐ जिदंगी…
तुझसे कोई शिकायत नहीं है ऐ जिदंगी
जो भी दिया है वही बहुत है।
ज़िन्दगी तो मेरी है…
चूम लेता हूँ हर मुश्किल को अपना मान कर मैं,
क्यूँकि ज़िन्दगी कैसी भी है… है तो मेरी ही।
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