कभी आपने सोचा है कि आपकी गाड़ी के टायर हमेशा काले रंग के ही क्यों होते हैं। या फिर दुनिया भर में काले रंग के ही टायर क्यों होते हैं। जानिए काले टायर के पीछे क्या है राज़।
आमतौर पर रबर का रंग स्लेटी होता है। लेकिन जब टायर को बनाया जाता है तो इसके रंग में परिवर्तन होता है, टायर बनाने की इस प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं। प्राकृतिक रबर यानी लेटेक्स में कार्बन ब्लैक मिलाते हैं ताकि वह मजबूत रहे, रबर जल्दी न घिसे। अगर सादा रबर का टायर 8 हज़ार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर चल सकता है। काले कार्बन की भी कई श्रेणियां होती हैं। इसमें सल्फर भी मिलाते हैं।
कार्बन ब्लैक के कारण यह काला हो जाता है। इससे यह अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बच जाता है। यों आपने बच्चों की साइकिलों में सफेद, पीले और दूसरे रंगों के टायर देखे होंगे। बीसवीं सदी के पहले-दूसरे दशक में कारों के सफेद टायर भी होते थे। यों हाल के वर्षों तक ह्वाइटवॉल टायरों का प्रचलन रहा है जिनमें टायर का साइड वाला हिस्सा सफेद होता था।