लेकिन आपको जान कर हैरत होगी कि इस गाने को लिखने वाले हैं पंजाब पुलिस में बतौर हेड कॉन्स्टेबल काम कर रहे कपूरथला के अमरीक सिंह शेरा.
अमरीक ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने ये गाना 1990 में लिखा था, उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि ये गाना फिल्म में लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि, ‘दो महीने पहले मेरे एक दोस्त ने फोन करके बताया कि गाना ‘काला चश्मा’ चैनल पर चल रहा है. मैं नहीं बता सकता कि उस वक्त मुझे कैसा लगा था, जो भी हुआ मैं उससे खुश था मगर जब सारी बातें सामने आईं तो मैं सकते में आ गया.’
अमरीक को इस गाने के लिए बतौर एग्रीमेंट सिर्फ 11 हज़ार रुपये मिले थे. अमरीक ने आरोप लगाया कि ‘चार महीने पहले जालंधर की Angel Record Company ने उन्हें गाने के लिए प्रस्ताव दिया था और उन्हें बताया था कि मुंबई की एक कंपनी को सीमेंट फर्म का उदघाटन करने के लिए गाना चाहिए’. अमरीक ने कहा, ‘मुझे उस सीमेंट कंपनी का नाम नहीं पता. किसी ने मुझे नहीं बताया कि यह गाना फिल्म में लिया जाएगा’. लेकिन अमरीक ने ये भी कहा कि उनके मन में किसी के लिए गुस्सा नहीं है.
वैसे अमरीक को एक शिकायत है कि फिल्म इंडस्ट्री से किसी ने भी उन्हें म्यूज़िक लॉन्च और फिल्म स्क्रीनिंग के वक्त नहीं बुलाया. ‘मैं वहां जाकर लोगों को सिर्फ यह बताना चाहता था कि यह गाना पंजाब के एक छोटे से गांव के शख्स ने लिखा है’. वो भी तब, जब वो महज़ 9वीं क्लास का स्टूडेंट था. अमरीक ने बताया कि उस समय भी उन्हें काफी सिंगर्स ने इस गाने को रिलीज़ करने का ऑफर दिया था.
अमरीक ने कहा, ‘किसी भी गाने को सबसे ज्यादा फेम तब मिलता है जब वो बॉलीवुड की किसी फ़िल्म में जगह बना लेता है. पंजाबी गानों के लेखकों को उनकी बेहतर फीस नहीं मिलती.’ अमरीक ने इस गाने में अपने गांव का भी नाम लिया है. अगर आप गाने की लाइंस को ध्यान से सुनें तो पाएंगे गाने के आखिरी हिस्से में अमरीक के गांव, तलवंडी चौधरियान का नाम आता है.’
Story Source: hindustantimes