
आधी दुनिया का चावल
गेंहू की यात्रा
7,000 साल से पहले से पूर्वी इराक, सीरिया, जॉर्डन और तुर्की जैसे इलाकों में गेंहू उगाने के सबूत मिले हैं। इसको कई तरह की प्रक्रियाओं से कहीं ब्रेड, कहीं पास्ता तो कहीं रोटी की शक्ल दी जाती है। गेंहू के सबसे बड़े उत्पादक चीन, भारत, अमेरिका, रूस और फ्रांस हैं।
मक्का – एज्टेक का सोना
मूल रूप से केंद्रीय मेक्सिको में पैदा होनेवाला मक्का अब विश्व के सभी महाद्वीपों में फैल चुका है। केवल 15 फीसदी मक्का इंसानों की थाली तक पहुंचता है बाकी जानवरों को खिलाने के काम आता है। ग्लोबल फूड इंडस्ट्री में इससे ग्लूकोज सीरप बनाया जाता है। अमेरिका में 85 फीसदी जीएम मक्का उगाया जाता है।
आलू बिन सब सून
दक्षिण अमेरिका के एंडीज का मूल निवासी आलू आज विभिन्न किस्मों में हमारे लिए उपलब्ध हैं। 16वीं सदी में स्पेन के योद्धाओं ने जब पेरू पर कब्जा किया तब उन्होंने आलू का स्वाद चखा और उसे यूरोप ले आए। तब से स्पेन और जर्मनी, आयरलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों में आलू उगाया जाने लगा। आज चीन, भारत और रूस आलू के सबसे बड़े उत्पादक हैं।
चीनी – गन्ना या चुकंदर
गन्ना पूर्वी एशिया में कहीं से आया माना जाता है। इसकी मिठास के इस्तेमाल का इतिहास 2,500 साल से भी पुराना है। आज पूरे विश्व की जरूरतें पूरी करने के लिए इसे सबसे ज्यादा ब्राजील में उगाया जाता है। कुछ हिस्से से बायोइथेनॉल भी बनती है। इसे उगाना मुश्किल और कम कमाई वाला काम है। यह चीनी यूरोप में चुकंदर से बनने वाली चीनी से सस्ती होती है।
कॉफी – काली लक्जरी
इथियोपिया से शुरु होकर दुनिया भर की पसंदीदा ड्रिंक बन चुकी कॉफी ने लंबा सफर तय किया है। एक कप कॉफी में 140 लीटर पानी छिपा है। इसे वर्चुअल वाटर कहते हैं। इसकी पैदावार पर विश्व के करीब 2।5 करोड़ कॉफी किसान निर्भर हैं। इनमें से करीब आठ लाख छोटे किसान अपने उत्पाद सहकारी समितियों के माध्यम से बेचते हैं।
चीन से चाय
चाय चीन से आई और अब दुनिया में सबसे ज्यादा खपत वाला पेय पदार्थ है। हर सेंकड दुनिया भर में करीब 15,000 चाय के कप पिए जा रहे हैं। कॉफी के दीवाने यूरोप में भी इन दिनों चाय का क्रेज बढ़ता जा रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान केन्या से लेकर भारत और श्रीलंका में उगाई गई चाय को इंग्लैंड पहुंचाया जाता था। आज कई भारतीय चाय बागानों में काम करने वालों की हालत दयनीय है।
केला – लोकप्रिय ट्रॉपिकल फल
अगर केले को विश्व का सबसे लोकप्रिय फल कहें, तो गलत नहीं होगा। दक्षिणपूर्ण एशिया से निकला केला आज जब जर्मनी के बाजारों में बिकता है, तो स्थानीय सेबों से भी सस्ता पड़ता है। इसके सबसे बड़े निर्यातक लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देश हैं। इन्हें उगाने वालों के कामकाज की स्थितियां काफी कठिन होती हैं। इसके अलावा इसमें कीटनाशक दवाइयों के भारी इस्तेमाल के कारण भी समस्या होती है।