जोएल सैरटोर नेशनल ज्योग्राफिक फोटो आर्क के संस्थापक है. यह एक बहुवर्षीय परियोजना है जिसके तहत दुनिया के उन प्रजातियों का चित्र बनाया जाएगा जो लुप्त होने वाले हैं.
कुछ जानवर पानी का उत्सर्जन करके या तापमान बढ़ाकर पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के अनुकूल अपने आप को ढाल लेते हैं. कंगारू चूहे ज़मीन के अंदर दिन के वक्त बिल बनाकर चले जाते हैं क्योंकि दिन के वक्त ज़मीन के नीचे तापमान कम होता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कुछ नहीं किया जाएगा तो हर छह में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाएगी. हर साल प्राकृतिक रूप से आर्कटिक लोमड़ी की आबादी घटती-बढ़ती रहती है लेकिन अध्ययनों में पता चला है कि भोजन की तलाश में उत्तर की ओर बढ़ने के कारण इनकी आबादी पर ख़तरा बढ़ गया है.

अगर धरती पर कार्बन उत्सर्जन की दर यूं ही बढ़ती रही तो धरती का तापमान चार डिग्री बढ़ जाएगा और 16 फ़ीसदी पेड़-पौधे और जानवर खत्म हो जाएंगे. यह निष्कर्ष यूनिवर्सिटी ऑफ़ कनेक्टिकट के डॉक्टर मार्क अरबन ने साक्ष्यों की समीक्षा कर निकाली है.
बंगाल टाइगर की यह तस्वीर अलाबामा गल्फ कोस्ट चिड़ियाघर में बनाई गई है.

वर्तमान में जोएल सैरटोर के इस संग्रह में 5,000 से ज्यादा प्रजातियां है लेकिन सैरटोर का इरादा 12000 प्रजातियों को शामिल करने का है.
कुछ प्रजातियों के पास दूसरों की तुलना में अधिक अनुकूलन क्षमता होती है. अमरीकी बड़े मेढ़क (बुलफ्रॉग) पूर्वी अमरीका के रहने वाले है लेकिन हर राज्य में लगभग फैल गए हैं. ये दूसरे मेढ़कों को तो खाते ही है साथ ही साथ भोजन के लिए दूसरे जानवरों से भी भीड़ जाते हैं.
नवंबर में जलवायु परिवर्तन पर आने वाले नेशनल ज्योग्राफिक के विशेष अंक में इस संग्रह की व्यापक तस्वीरें सामने आएंगी.
अलास्का और उत्तर पूर्व साइबेरिया के तट पर ऐडर वसंत के मौसम में प्रजनन के लिए जाते हैं. अलास्का में पैदा होने वाले एडर की आबादी में 96 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसलिए इनके संरक्षण का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.