मुस्कुरा भर दो…
निगाह उठे तो सुबह हो… झुके तो शाम हो जाये,
एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाये।
चाँद कहता रहा…
तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा,
चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ… मैं चाँद हूँ…।
तेरी ज़ुल्फ़ों की घटा…
तेरी ज़ुल्फ़ों की घटाओं का मुंतज़िर हुआ जाता हूँ,
अब ये आलम है कि बारिश भी सूखी सी लगती है।
तेरी ज़ुल्फ़ों की घटा शायरी
तू उर्दू का हसीन लफ्ज़…
उफ्फ ये नज़ाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ़,
कहीं तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नहीं।
होठों से छू कर…
उसने होठों से छू कर
दरिया का पानी गुलाबी कर दिया,
हमारी तो बात और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया।
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