आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब’ कोई दिन और भी जिए होते आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना ‘ग़ालिब’ किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बअ’द आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए साहब को दिल न देने पे...
दर्द तूफ़ान बने… दर्द के लम्हे कब हम पर आसान बने, जो दर्द आँसू न बन सके वो तूफ़ान बने। नदिया है मजबूरी की… एक नदिया है मजबूरी की उस पार हो तुम इस पार हैं हम, अब पार उतरना है...
सारे जहां से अच्छा… के लेखक मोहम्मद इकबाल को अलामा (विद्वान) इकबाल के नाम से भी जाना जाता है। कुछ समीक्षक इन्हें गालिब के बाद उर्दू का सबसे बड़ा शायर मानते हैं। पेश हैं उनके कुछ शेर… ***** सारे जहाँ से...