वृंद का जीवन परिचय,वृंदावन दास के दोहे,नीकी पै फीकी लगै बिन अवसर की बात,वृंद सतसई,कन –कन जोरै मन जुरै, काढ़ै निबरै सोय । बूँद –बूँद ज्यों घट भरै, टपकत रीतै तोय,नीकी पै फीकी लगै बिन अवसर की बात का अर्थ,नीति के दोहे इन हिंदी,दोहे और उनके अर्थ,
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