भारत ऐसा देश हैं जहां पर चमत्कारों की कमी नहीं है। इस देश में कोई ना कोई चमक्तार होता ही रहता है। ऐसी ही एक चमत्कार की कहानी जुड़ी है भारतीय सेना के जवान की जो शहीद होने के बाद भी सरहद पर एक फौजी के रूप में देश की रक्षा कर रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह शहीद आज भी वहां तैनात फौजियों को दिखाई देते हैं और अपना संदेश पहुंचाने के लिए साथी फौजियों के सपने में आकार अपनी इच्छा बताते हैं।
सैनिकों ने एक और चौंकाने वाली बात बताई है कि भारत-चीन के बीच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में हरभजन के मान की कुर्सी भी लगाई जाती है।ताकि वो मीटिंग अटेंड कर सके।
इस तरह हुई थी जवान की मौत
हरभजन सिंह 24वीं पंजाब रेजिमेंट के जवान थे। एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित नदी में बह गएय नदी में बह कर उनका शव काफी आगे निकल गया।
दो दिन की तलाशी के बाद भी जब उनका शव नहीं मिला तो उन्होंने खुद अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव की जगह बताई।
सवेरे सैनिकों ने बताई गई जगह से हरभजन का शव बरामद अंतिम संस्कार किया। हरभजन सिंह के इस चमत्कार के बाद साथी सैनिकों की उनमे आस्था बढ़ गई और उन्होंने उनके बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया।
इसके लिए ट्रेन में सीट रिज़र्व की जाती थी, तीन सैनिको के साथ उनका सारा सामान उनके गांव भेजा जाता था तथा दो महीने पूरे होने पर फिर वापस सिक्किम लाया जाता था।
जिन दो महीने बाबा छुट्टी पर रहते थे उस दरमियान पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता था क्योकि उस वक्त सैनिकों को बाबा की मदद नहीं मिल पाती थी लेकिन बाबा का सिक्किम से जाना और वापस आना एक धार्मिक आयोजन का रूप लेता जा रहा था, जिसमे की बड़ी संख्या में जनता इकठ्ठी होने लगी थी।
कुछ लोगो इस आयोजान को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मानते थे इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है। लिहाजा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया।
मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है जिसमे प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाता है। बाबा की सेना की वर्दी और जूते रखे जाते हैं। कहते है की रोज पुनः सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सलवटे पाई जाती है।