22 की उम्र से दिखा रहीं बधिर कलाकारों को जिंदगी

दिल्ली की स्मृति नागपाल ने बीबीसी की इस साल की 100 प्रेरणादायक महिलाओं की सूची में जगह बनाई है। बिजनस की डिग्री लेकर जब स्मृति कॉलेज से निकलीं तो उन्होंने बधिर (सुनने में अक्षम) कलाकारों के लिए एक सामाजिक उद्यम शुरू किया। सिर्फ तीन साल में उन्होंने कलाकारों के लिए इतना कुछ किया कि उन्हें बीबीसी की साल 2015 की 100 प्रेरणादायक महिलाओं की सूची में जगह मिली।

द्वारका में रहने वाली नागपाल के साथ-साथ इस लिस्ट में दिग्गज सिंगर आशा भोंसले और टेनिस स्टार सानिया मिर्जा भी हैं। हालांकि, स्मृति को इस सूची में 30 साल से कम उम्र के उद्यमियों की श्रेणी में रखा गया। यह सब स्मृति की सांकेतिक भाषा के प्रेम के साथ शुरू हुआ। वह कहती हैं, ‘मेरे दो बड़े भाई हैं, जो सुन नहीं सकते। मैं ऐसे माहौल में बड़ी हुई, जहां मुझे सांकेतिक भाषा का प्रयोग करना पड़ा। 16 की उम्र तक मैंने नैशनल असोसिएशन ऑफ द डीफ के साथ सांकेतिक भाषा के दुभाषिए के तौर पर काम शुरू कर दिया था।’

कॉलेज में वह दूरदर्शन के लिए सांकेतिक भाषा वाले न्यूज बुलेटिन शूट करवाती थीं। जॉब न करने का फैसला लेते हुए ग्रैजुएट होने के बाद उन्होंने अपने पिता के साथ काम शुरू किया। दिवाली मेले में एक बधिर कलाकार ने उन्हें इंटरप्रिट करते देखा और उनसे एक नौकरी खोजने में उसकी मदद करने की गुजारिश की। वह फाइन आर्ट्स में पोस्ट ग्रैजुएट था। नागपाल ने उसे एक असाइन्मेंट दिया और उसके काम से प्रभावित हुईं।

वह अपने कॉलेज के दूसरे बधिर कलाकारों से मिलीं और महसूस किया कि वे सभी बात न कर पाने की वजह से एक खोल के अंदर खुद को समेटे हुए हैं। वह कहती हैं, ‘कोई भी शख्स मेलजोल करते रहने और बात करते रहने की वजह से ही एक कलाकार बन पाता है और इनकी जिंदगी में वह नदारद है।’ स्मृति ने 22 साल की उम्र में इन कलाकारों की मदद करने के उद्देश्य से ‘अतुल्यकला’ शुरू किया।

वह एनजीओ के रास्ते पर भी चल सकती थीं, लेकिन वह कहती हैं, ‘मैं एनजीओ को लेकर कुछ उलझन में थी, क्योंकि अगर मैं ऐसा करती जो मेरा उद्देश्य डगमगा जाता। मैं तो स्टीरियोटाइप तोड़ना चाहती हूं।’ उनका आइडिया बधिर कलाकारों द्वारा डिजाइन किए गए प्रॉडक्ट्स को बड़ी मात्रा में उत्पादित करके जनता तक पहुंचाना था। वह हैंडमेड के नाम पर चीजों को सीमित नहीं करना चाहती थीं।

स्मृति कहती हैं, ‘बिक्री होने लगी। लोगों को प्रॉडक्ट्स पसंद आए और कुछ ही महीनों में मुझे लगा कि मेरा ब्रैंड कहीं और जा रहा है। मेरा आइडिया यह बताना था कि बधिर कलाकार भी डिजाइन स्टूडियो में उन कलाकारों के साथ काम कर सकते हैं, जो डिजाइनर सुन सकते हैं।’ आज अतुल्यकला का बिजनस भी है और सोशल मिशन भी।

वह लाइफस्टाइल प्रॉडक्ट जैसे बैग, जर्नल और आर्ट फ्रेम बेचते हैं, जो इन्हीं बधिर कलाकारों ने डिजाइन किए हैं। ग्राहकों की मांगों को पूरा करने के लिए इनके पास डिजाइन स्टूडियो भी है और अब वह सांकेतिक भाषा को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

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