लोहे से बने ये पिंजरे खरीदना भी इन गरीबों के लिए चुनौती है। इसके लिए भी इन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है
एक पिंजरे की कीमत लगभग 11 हजार रुपए तक होती है। इन पिंजरों को खंडहर में तबदील हो चुके मकानों में रख दिया जाता है।
पिंजरों के अंदर एक-एक अपार्टमेंट में 100-100 लोग रहते हैं और एक अपार्टमेंट में सिर्फ दो ही टॉयलेट होते हैं, जिससे इन लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
इतना ही नहीं, पिंजरों की साइज भी निर्धारित होती है। कोई पिंजरा छोटे केबिन के बराबर होता है, तो कोई ताबूत के आकार का होता है।
इतना ही नहीं, पिंजरों की साइज भी निर्धारित होती है। कोई पिंजरा छोटे केबिन के बराबर होता है, तो कोई ताबूत के आकार का होता है।
पिंजरे में बिछाने के लिए ये लोग गद्दे की जगह बांस की चटाई का उपयोग करते हैं।
सोसाइटी फॉर कम्युनिटी आर्गनाइजेशन के अनुसार, इस तरह के घरों में लगभग एक लाख लोग रह रहे हैं।
source ; Rajsthan Patrika