मंगल ग्रह (मार्स) की स्टडी करने के लिए भेजे गए नासा के रोवर ने वहां बिताए 12 साल

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा मार्स पर भेजे गए व्हीकल रोवर को 12 साल हो गए हैं। स्पेस एक्सप्लोरेशन रोवर अभी तक सही सलामत अपना काम कर रहा है और लगातार वहां की तस्वीरें भेज रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इसे मार्स पर सिर्फ 90 दिनों तक चलने के लिए ही डिजाइन किया गया था।

रोवर की सफलता को देखते हुए नासा ने उसके सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव किए ताकि वह और ज्यादा से ज्यादा दिनों तक मार्स पर काम करे।

गौरतलब है कि इस रोवर को जमीन से मार्शियन एटमोस्फियर तक पहुंचने में छह महीने का समय लगा और 24 जनवरी 2004 में यह मार्स के सर्फेस पर लैंड हुआ। इसे वहां सफलतापूर्वक लैंड कराने के लिए पैराशूट, रेट्रोरॉकेट्स और एयरबैग के ककून आदि का यूज किया गया था। लैंड करने के बाद इसने मार्स के सर्फेस पर काफी टप्पे खाए पर यह सही सलामत रहा।

मार्स पर काफी डस्ट होने की वजह से नासा ने इस रोवर के 3 महीने तक ऑपरेशनल रहने की उम्मीद की थी। सोलर पैनल पर ज्यादा डस्ट जमने की वजह से इसकी बैट्रियों में चार्जिंग की समस्या भी थी। पर दिलस्चप बात यह हुई कि सोलर पैनल पर जमे डस्ट को वहां के तूफान (डस्ट डेविल) ने खुद साफ कर दिया और रोवर की बैट्री चार्ज होती रही।

इसके अलावा इस प्रोजेक्ट की टीम इसके सॉफ्टवेयर को लगातार रिमोटली अपडेट करती रहती है ताकि इसके विजुअल डिटेक्शन फीचर्स अच्छे से काम करें और यह मार्स की ज्यादा साफ तस्वीरें ले सके।

source: nasa