यहां शिव के नंदी का आकार हर साल बढ़ रहा है
ऋषि अगस्त्य करते थे आराधना
आन्ध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित यागंती उमा महेश्वर मंदिर अपने अद्भुत रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है। कहते हैं कि ऋषि अगस्त्य इस स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना चाहते थे। मंदिर में मूर्ति की स्थापना के समय मूर्ति के पैर के अंगूठे का नाखून टूट गया जिसका कारण जानने के लिए उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की उसके बाद उनके आशीर्वाद से ऋषि अगस्त्य ने यहाँ उमा महेश्वर की स्थापना की।
कहां से आता है पानी?
इस मंदिर में नंदी के मुख से लगातार पानी गिरता रहता है, बहुत कोशिशों के बाद भी आज तक कोई पता नही लगा सका की पुष्करिणी में पानी कैसे आता है। ऐसी मान्यता है कि ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में नहाकर ही भगवान शिव की आराधना की थी।
लगातार बढ़ रहे हैं नंदी
मंदिर के सामने स्थापित नंदी महाराज की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ रहा है। भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार मूर्ति हर साल बढ़ रही है, नंदी का आकार बढ़ने की वजह से मंदिर के संस्थापक एक खम्भे को भी हटा चुके हैं।
नहीं आते कौवे
मंदिर परिसर में कभी भी कौवे नहीं आते हैं। ऐसी मान्यता है कि तपस्या के समय विघ्न डालने की वजह से ऋषि अगस्त ने कौवों को यह श्राप दिया था कि अब कभी भी कौवे मंदिर प्रांगण में नही आ सकेंगे।
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