उसी खेत के बगल से चिपका था सिनेमा हॉल। उसमें से गाने की आवाज़ आ रही थी। “तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त”। हम गेट बंद होने के बाद भी उसमें आंख घुसेड़ के देख लेते। बाद में पता चला दोस्त लोग बताए कि ‘सुनिल शेट्टी’ और ‘अक्षय कुमार’ की फिल्म आई है, मोहरा नाम से। वही चल रही है। और इसके गाने सब एक से एक हैं। बाद में जब कहीं किसी शादी हो तो कहीं बारात में इसके गाने खूब सुने। इसी फिल्म का एक गाना था जो इस तरह की शादी-बारात में सुनने को नहीं मिलता था।
गाना था: ना कजरे की धार ना मोतियों की धार
गाने के बोल लिखे थे: आनंद बक्शी साहब ने
गाया था: पंकज उधास ने
और म्यूज़िक दिया था: विजु शाह ने
पहले गाना सुनिए फिर एक मज़ेदार बात इस गाने के बारे में….
आपने जो गाना अभी ऊपर सुना मोहरा फिल्म का इसे इस फिल्म में पंकज उधास और साधना सरगम ने गाया था। लेकिन शायद आपको नहीं पता होगा कि इस गाने के रिलीज़ से लगभग 34 साल पहले ही इस गाने को तैयार कर लिया गया था। साल था 1960। इसे तब कल्याण जी, आनंद जी ने कंपोज़ किया था। कंपोज मतलब लिरिक्स को या यों कहिए कविता की तरह लिखी लाइनों को गाने में बदलने का काम। और उस वक़्त इसे गाया था मशहूर गायक मुकेश ने। लेकिन जिस फिल्म के लिए इस गाने को तैयार किया गया था वो फिल्म किसी कारण से रिलीज़ नहीं हो पाई। तब 1994 में इसे कल्याण जी के बेटे विजु शाह ने मोहरा में इस्तेमाल किया।
सुनिए मुकेश का गाया, ना कज़रे की धार..
वैसे तो आज कल बहुत से गाने बॉलीवुड में इधर-उधर के एल्बम से उठाए जा रहे हैं। उन्हें थोड़ा नया रंग दे दिया जाता है। बाकी आप सुनने वाले हैं। अंततः ये आपको ही तय करना होता है कि क्या बेहतर है! हर इंसान की अपनी-अपनी चॉइस होती है।