महाभारत हिन्दू धर्म का एक ऐसा महाकाव्य हैं , जिसके बारे में सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है. और जब महाभारत की चर्चा की जाये और लाक्षागृह का जिक्र नहीं हो ऐसा केसे हो सकता हे . इस काव्य से जुड़ी हुई कई मान्यताओं और धारणाये हे, महाभारत एक ऐसा महाकाव्य हे जिसमे कई रहस्य छिपे हुए हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी हे .महाभारत युद्ध क्यों हुआ , केसे हुआ , कहा हुआ, और किनके बीच हुआ , कौन-कौन मारा गया, इनके बारे में लगभग हम सब जानते है. बात उस समय की थी जब युधिष्ठिर को राज्य का युवराज घोषित किया गया था , तो दुर्योधन और कोरवो को ये बात हजम नहीं हुई और मामा शकुनी के बहकावे में आकर उन्होंने पांडवों के खिलाफ एक षड़यंत्र रचा और उनको को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण करवाया .
हालाँकि लाक्षागृह तो जलकर खाक हो गया था लेकिन आज भी वो जगह मौजूद है, जहां दुर्योधन और कोरवो ने लाक के लाक्षागृह का निर्माण किया था.
आज हम आपको उसी जगह के के बारे में बताने जा रहे हैं. यह जगह उत्तराखंड में स्थित है, जो देवभूमि के नाम से भी प्रसिद्ध है,
लाखामंडल की पौराणिक गुफा, जहां महाभारत काल में पांडवों को एक नया जीवन मिला था.
सुन्दर वादियों और प्राकृतिक सुंदरता से लबा- लब तथा यमुना नदी के किनारेमें बसा लाखामंडल गांव है. यह स्थान देखने में बेहद ही खूबसूरत और आकर्षित करने वाला हे , तथा भगवान भोले बाबा के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ भी है.

इस पवित्र देव भूमि को महाभारत काल से जोड़ा जाता है यहां स्थित भगवान भोले बाबा के मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि यहां प्रार्थना करने से व्यक्ति को पाप – दोषों से मुक्ति मिल जाती है. इस मंदिर में ग्रेफाइट से बना शिवलिंग है जो मुख्य आकर्षण का केन्द्र हे तथा इसकी एक और विशेषता यह है कि जब इसका जलाभिषेक किया जाता है, तो यह चमकता है और इसमें जलाभिषेक कर रहां भक्त अपना प्रतिबिंब भी देख सकता है. ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास के समय धर्मराज युधिष्ठिर और पांड्वो ने की थी.
मुख्य मंदिर के बगल में द्वारपाल के रूप में दानव और मानव को दर्शाती दो मूर्तियां स्थित हैं, कुछ लोगो का ऐसा भी मानना हे की ये मूर्तियां भीम और अर्जुन की हैं. इन मूर्तियों के लिए यह बात कही जाती है कि मरे हुए आदमी का शरीर अगर इनके पास रख दिया जाए, तो वह कुछ समय के लिए जीवित हो जाता है.

Source: topyaps