इस अलौकिक मंदिर में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने खुद समंदर आता है।
यह मंदिर अरब सागर में खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है। समुद्र के बीच में स्थित होने की वजह से इसकी खूबसूरती देखने लायक है। समुद्र के बीच स्थित होने के कारण न केवल इस मंदिर का सौंदर्य बढ़ता है बल्कि एक अनोखी घटना भी देखने को मिलती है। यहां समुद्र देवता स्वयं भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं। लहरों के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और यह परंपरा सदियों से सतत चली आ रही है। यहां स्थित शिवलिंग का आकार चार फुट ऊंचा और दो फुट के घेरे वाला है।
यह मंदिर भारत के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर को गायब मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर को गायब मंदिर कहने के पीछे एक अनोखी घटना है। वह घटना वर्ष में कई बार देखने को मिलती है जो मंदिर को हमेशा सुर्खियों में बनाए रखती है।
इस मंदिर के दर्शन केवल कम लहरों के वक्त ही किए जा सकते है। ऊंची लहरों के समय यह मंदिर डूब जाता है। पानी में डूब जाने के कारण यह मंदिर दिखाई नहीं देता, इसलिए इसे गायब मंदिर कहा जाता है। ऊंची लहरें खत्म होने पर मंदिर के ऊपर से धीरे-धीरे पानी उतरता है और फिर मंदिर दिखने लगता है।
पौराणिक मान्यता के मुताबिक स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में स्वयं शिवशंभु (भगवान शंकर) विराजते हैं इसलिए समुद्र देवता स्वयं उनका जलाभिषेक करते हैं। यहां पर महिसागर नदी का सागर से संगम होता है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु समंदर द्वारा शिवशंभु के जलाभिषेक का अलौकिक दृश्य देखने के लिए आते हैं।
Source : ज़ी मीडिया ब्यूरो
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