क्या है फोटो और दिमाग का कनेक्शन? जानिए…
हमेशा से ही इस बात को लेकर बहस चलती रहती है की दिमाग पर क्या चीज ज्यादा असर करती है? शब्द या तस्वीर? मानव शरीर के दिमाग और तस्वीर के बिच क्या कनेक्शन है, जानिए तस्वीरों में…
1990 से लेकर अभी तक साहित्य में विजुअल्स की संख्या 400 फीसदी बढ़ी है। 2007 से अब तक इंटरनेट पर 9900 फीसदी विजुअल्स बढ़े हैं। 1985 से लेकर 1994 के बीच न्यूजपेपर्स में यह संख्या 142 फीसदी बढ़ी…
ये आंकड़े बताते हैं कि तकनीक के विकसित होने के साथ साथ तस्वीरों को लेकर पसंद भी बढ़ती गई है। बाजार इसी पसंद को भुनाने की कोशिश कर रहा है…
हमारा दिमाग विजुअल्स को लेकर ज्यादा तेजी से काम करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे दिमाग का 50 पर्सेंट हिस्सा विजुअल प्रोसेसिंग में काम करता है।
हमारे 70 पर्सेंट सेंसरी रिसेप्टर्स हमारी आंखों में ही होते हैं। हम किसी भी विजुअल सीन का सेंस सेकेंड के 10वें हिस्से में लगा लेते हैं।
किसी भी सिंबल को प्रोसेस करने में हमारे दिमाग को 150 मिलीसेकेंड लगते हैं। इस सिंबल का मतलब निकालने में दिमाग को 100 मिलिसेकेंड का समय ही लगता है…
1986 से तुलना करने पर आज हम 5 गुना अधिक जानकारी ले रहे हैं। एक औसतन दिन में हम 34 गीगाबाइट्स या 100,500 शब्दों का उपयोग कर रहे हैं।
रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि रंगीन विजुअल कॉन्टेंट को पढ़ने की चाहत को 80 फीसदी बढ़ा देते हैं…
एक स्टडी से सामने आया है कि दवाओं पर सिर्फ शब्दों से समझाने की कोशिश 70 फीसदी ही काम कर पाती है जबकि तस्वीरों के साथ ऐसा करने पर समझ का स्तर 95 फीसदी होता है।
दिशाओं को समझाने के लिए टेक्स्ट और इलस्ट्रेशन का इस्तेमाल 323 पर्सेंट बेहतर तरीके से काम करता है।
10 पर्सेंट लोग सुनी गई बात को जबकि 20 पर्सेंट पढ़ी गई बात को याद रख पाते हैं। इसके विपरीत 80 पर्सेंट लोग ऐसे हैं जो देखी गई चीज को याद रखते हैं…
(source: http://neomam.com/)