‘लग गये 440 वाल्ट छूने से तेरे’ सुल्तान फिल्म का बेहतरीन गाना है परन्तु आपके भी जीवन में ऐसे ही कितने किस्से हुए होंगे जिनमे आपको झटका जरुर लगा होगा | हाँ , शायद हो सकता ही वो 440 वाल्ट का ना हो फिर भी क्या आपको पता है जब आप किसी चीज़ को छूते है और अचानक आपको झटका लगता है जैसे किसी कुर्सी या फिर कमरे का डोरनॉब पकड़ते हुए परन्तु क्या आपको पता है की ऐसा क्यों और कैसे होता है ,आईये हम आपको बताते है इसके बारे में पूरी जानकारी …….
मानव शरीर में मौजूद एटम्स करते है यह कार्य ~
छोटी कक्षाओ में हम सब ने पढ़ा है की प्रत्येक वस्तु एटम से बनी है और प्रत्येक वस्तु की सबसे छोटी इकाई भी एटम ही है | ये तो शायद आपने साइंस में पढ़ी ही होगी। ये एटम्स तीन तरह के होते है पॉजिटिव, निगेटिव और न्यूट्रल ,यानि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रान। जब किसी भी चीज में मौजूद इलेक्ट्रॉन और प्रोटान की क्वांटिटी बराबर होती है तो ये न्यूट्रल रहते हैं, लेकिन जैसे ही इनकी मात्रा में परिवर्तन आता है वैसे ही इलेक्ट्रॉन बहुत तेजी से घूमना शुरु कर देते हैं। वैसे यह इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन हर जगह और हर चीज में बराबर बने रहने की कोशिश करते हैं। इसी कोशिश में इलेक्ट्रॉन्स की ये तेज मूवमेंट स्टैटिक डिस्चार्ज पैदा करती है। बादलों में भी बिजली इसी कारण से चमकती है |
इलेक्ट्रान के बढ़ने से लगता है कारण ~
जैसे ही किसी चीज में इलेक्ट्रॉन की मात्रा बढ़ जाती है तो उसमें एक निगेटिव चार्ज पैदा होने लगता है। ये बढ़े हुए इलेक्ट्रॉन दूसरे ऑब्जेक्ट के पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन की ओर आकर्षित होते हैं। जैसे ही कोई पॉजिटिव चार्ज वाली वास्तु या इंसान उसके संपर्क में आता है, तो वो इलेक्ट्रॉन बहुत तेजी से उसकी ओर प्रवाहित होते हैं। यही तेज इलेक्ट्रॉनिक प्रवाह आपको बिजली के झटके सा एहसास कराता है।
सर्दियों के मौसम में क्यों बढ़ जाते है ये झटके ~
इलेक्ट्रॉन के बढ़ने पर भी मौसम का जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। मौसम में नमी का कारण है इसकी मुख्य वजह। जहां नमी ज्यादा होगी वहां इलेक्ट्रॉन की मात्रा नॉर्मल रहेगी। सूखे और रूखे यानि सर्दियों के मौसम में हवा में नमी बहुत कम होती है, इससे हर चीज या शरीर में इलेक्ट्रॉन बढ़ते हैं और निगेटिव चार्ज पैदा होता है, जो आपके लिए एक सुन्दर झटके का कारण बनता है। गर्मियों में झटका लगने की पॉसिबिलिटी बहुत कम होती है, क्योंकि उस समय हवा में मौजूद नमी निगेटिव चार्ज यानि इलेक्ट्रॉन की मात्रा को बढ़ने नहीं देती। धातु से बनी चीजों यानि इलेक्ट्रिक कंडक्टर को छूने पर ज्यादातर ऐसा एहसास होता है, क्योंकि धातुओं में इलेक्ट्रॉन आसानी से घूम सकते हैं।