कामसूत्र – विश्व को भारत की अमोल धरोहर

कामसूत्र एक प्रसिद्ध व प्राचीन कामशास्त्र है, जो मुख्यतः सम्भॊग पर व्यावहारिक सलाह देता है।”काम” शब्द का सामान्य अर्थ होता है “कामना”, लेकिन कामसूत्र में इस शब्द का तात्पर्य यौन इच्छा से है। ” सूत्र” शब्द का सामान्य अर्थ है “धागा”, जिसका कामसूत्र में अर्थ चीजों को जोड़कर रखने से है।



कामसूत्र को वात्स्यायन ने संस्कृत भाषा में व्यापक रूप से मानव यौन व्यवहार पर प्रामाणिकता के साथ लिखा है।यह रतिक्रीड़ा के अलावा गृहस्थ जीवन को सही तरीके से जीने के उपाय भी बताता है।

वास्तव में सेक्स या संभोग ही दाम्पत्य सुख-शांति की आधारशिला है। काम के सम्मोहन के कारण ही स्त्री-पुरुष विवाह सूत्र में बँधना तय करते हैं। अतः विवाहित जीवन में काम के आनन्द की निरन्तर अनुभूति होते रहना ही कामसूत्र का उद्देश्य है।


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कामसूत्र का ज्ञान आपके वैवाहिक जीवन को अंत तक तरोताजा बनाए रखने में सक्षम है। संभोग के आसनों से यौन सुख के साथ ही व्यायाम के लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं। बस, जरूरत है तो इसे सही रूप में समझने की।

आचार्य वात्स्यायन के आसन :
विचित्र आसन : 1.स्थिररत, 2.अवलम्बितक, 3.धेनुक, 4.संघाटक, 5.गोयूथिक, 6.शूलाचितक, 7.जृम्भितक और 8.वेष्टितक।

अन्य आसन : 

1.उत्फुल्लक, 2.विजृम्भितक, 3.इंद्राणिक, 4. संपुटक, 5. पीड़ितक, 6.बाड़वक 7. भुग्नक 8.उत्पी‍ड़ितक, 9. अर्धपीड़ितक, 10.वेणुदारितक, 11. कार्कटक 12. परावृत्तक आसन 13. द्वितल और 14. व्यायत। कुल 22 आसन होते हैं।

कुछ अन्य आसन :
संभोग के आसनों का नाम : आचार्य बाभ्रव्य ने कुल सात आसन बताए हैं- 1. उत्फुल्लक, 2. विजृम्भितक, 3. इंद्राणिक, 4. संपुटक, 5. पीड़ितक, 6. वेष्टितक, 7. बाड़वक।

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आचार्य सुवर्णनाभ ने दस आसन बताए हैं: 

1.भुग्नक, 2.जृम्भितक, 3.उत्पी‍ड़ितक, 4.अर्धपीड़ितक, 5.वेणुदारितक, 6.शूलाचितक, 7.कार्कटक, 8.पीड़ितक, 9.पद्मासन और 10. परावृत्तक।

कामसूत्र यौन संबंधी जानकारियों का बेहतरीन खजाना है। कामसूत्र उन आसनों के लिए भी प्रसिद्ध है जिनके चित्र या मू्र्ति देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग खजुराहो या अजंता-एलोरा जाते हैं.