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लेकिन सोना, चांदी धातुएं महंगी है जबकि तांबा इन दोनों की तुलना में सस्ता होने के साथ ही मंगल की धातु मानी गई। माना जाता है कि तांबे के बर्तन का पानी पीने से खून साफ होता है। इसलिए जब पूजा में आचमन किया जाता है तो अचमनी तांबे की ही रखी जानी चाहिए क्योंकि पूजा के पहले पवित्र क्रिया के अंर्तगत हम जब तीन बार आचमन करते हैं तो उस जल से कई तरह के रोग दूर होते हैं और रक्त प्रवाह बढ़ता है। इससे पूजा में मन लगता है और एकाग्रता बढ़ती है।
क्योंकि लोहा, स्टील और एल्यूमीनियम को अपवित्र धातु माना गया है तथा पूजा और धार्मिक क्रियाकलापों में इन धातुओं के बर्तनों के उपयोग की मनाही की गई है। इन धातुओं की मूर्तियां भी नहीं बनाई जाती। लोहे में हवा पानी से जंग लगता है। एल्यूमीनियम से भी कालिख निकलती है। इसलिए इन्हें अपवित्र कहा गया है। जंग आदि शरीर में जाने पर घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। इसलिए लोहा, एल्युमीनियम और स्टील को पूजा में निषेध माना गया है। पूजा में सोने, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए।
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