मानव शरीर बहुत ही जटिल मशीन है इसको समझने के लिए कई वैज्ञानिक कोशिश कर रहे है मगर इसे समझ पाना बहुत मुश्किल है | ऐसे ही कभी कभी हम भी हमारे शरीर के बारे में सोचने लगते है की कैसे क्या बना है ऐसे ही कभी आपने यह भी सोचा होगा की आखिर हमारे नाक में दो छिद्र क्यों होते है तो आईये आज हम आपको बताते है इसके बारे में ……

नासिका छिद्रों की स्वांस लेने की क्षमता में बदलाव ~
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सूंघने की क्षमता और इस प्रक्रिया को समझने के लिए एक अध्ययन किया है। उन्होंने अध्ययन में पाया कि पूरे दिन में हमारे दोनों नासिका छिद्रों में से एक नासिका छिद्र दूसरे की तुलना में बेहतर और ज्यादा तेजी से सांस लेता है। प्रतिदिन दोनों नासिका छिद्रों की यह क्षमता बदलती रहती है। यानी हमेशा दो नासिका छिद्रों में से कोई एक नासिका छिद्र ज्यादा श्वास खींचता है तो दूसरा थोड़ी कम । सांस खींचने की यह दो क्षमताएं हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं।

नई गंध को पहचानने मे करते हैं मदद ~
हमारी नाक के यह दो नासिका छिद्र ही हैं जो हमें ज्यादा से ज्यादा चीजों की गंध को समझने में मदद देते हैं। इन दो नासिका छिद्रों की वजह से ही आप नई गंधों को आसानी से पहचान पाते हैं। आपकी नाक आपको रोज-रोज की गंधों का एहसास देकर परेशान नहीं करती। इसे न्यूरल अडॉप्टेशन यानी तंत्रिका अनुकूलन भी कहते हैं। हमारी नाक ऐसी गंधों के प्रति उदासीन हो जाती है जिन्हें हम प्रतिदिन सूंघते हैं। हमारी नाक उन गंधों की पहचान तुरंत कराती है जो हमारे लिए नई होती है।