इन 5 चमत्कारिक मंदिरों पर जाने से होगी मुराद पूरी
हम आपको बताएंगे कि ऐसे कौन से मंदिर हैं जिन्हें चमत्कारिक, रहस्यमय या जाग्रत माना जाता है और जहां जाकर आप अपनी मुराद पूरी कर सकते हैं। उनमें से कुछ मंदिरों के बारे में वैज्ञानिक इनके चमत्कार और रहस्य को जानने का आज भी प्रयास कर रहे हैं।
1.हिंगलाज माता मंदिर (बलूचिस्तान) :
पाकिस्तान के जबरन कब्जे वाले बलूचिस्तान प्रांत के जिला लसबेला में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में स्थित माता पार्वती का हिंगलाज मंदिर अतिप्राचीन है। हिंगलाज माता का यह मंदिर माता पार्वती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के महत्व का उल्लेख देवी भागवत पुराण सहित अन्य पुराणों में भी मिलता है।
भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन यह मंदिर सुरक्षित रहा। इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोड़ने का कई बार प्रयास किया लेकिन वे किसी चमत्कार के चलते मौत के मुंह में समा गए। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख मुसलमान लोग करते हैं। यहां वर्ष में एक बार भारत और पाकिस्तान के हिन्दू यात्रा करते हैं। इस मंदिर से कई तरह के चमत्कार जुड़े हुए हैं।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वालों की मुरादें तुरंत ही पूरी होती हैं। यहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन के साथ ही अद्भुत तरह की अनुभूति होती है। अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं।
हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी ओडिशा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के 4 धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं।
गुजरात की ऊंची पहाड़ी पावागढ़ पर बसा मां कालिका का शक्तिपीठ सबसे जाग्रत माना जाता है। यहां स्थित काली मां को ‘महाकाली’ कहा जाता है। कालिका माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती के दाहिने पैर की अंगुलियां पावागढ़ पर्वत पर गिरी थीं।
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ घाटा मेहंदीपुर नामक स्थान है, जहां पर बहुत बड़ी चट्टान में हनुमानजी की आकृति स्वत: ही उभर आई है जिसे ‘श्रीबालाजी महाराज’ कहते हैं। इसे हनुमानजी का बाल स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी-सी कुंडी है जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता।
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