गुब्बारे से हर जगह कैसे मिलेगा इंटरनेट..विस्तार से जाने
गूगल का दावा है कि ये सब कुछ मुमकिन होगा आसमान में 20 किलोमीटर ऊपर उड़ने वाले गुब्बारों के ज़रिए.
लेकिन ये गुब्बारे कैसे काम करेंगे? और, क्या ये स्थाई इंटरनेट कनेक्शन दे भी पाएंगे?
बीबीसी फ़्यूचर को गूगल की लून परियोजना के रिच डिवॉल ने विस्तार से बताया कि ये योजना आख़िर है क्या?

शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि सबके लिए, सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए नहीं, इंटरनेट उपलब्ध करवाना आसान और तुलनात्क रूप से सस्ता होगा.
इंटरनेट के साथ शिक्षा, आर्थिक अवसर और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मिलती है.
यही नहीं, इससे दुनिया के कई बुद्धिमान लोगों के संपर्क में वो दो तिहाई लोग भी आ जाएंगे जो अभी ऐसा करने से वंचित हैं.
लून परियोजना आसमान में (स्ट्रेटोस्फ़ीयर या समतापमंडल में) उड़ने वाले गुब्बारों का एक नेटवर्क होगा. यह 15 मीटर व्यास के बड़े गुब्बारे होंगे जो धरती से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ेंगे.
इन्हें हम थोड़ा ऊपर-नीचे, एक-डेढ़ किलोमीटर तक ले जा सकते हैं. हवा की दिशा को चुनने के बाद आप गुब्बारों की उड़ान तय कर सकते हैं.
लून गुब्बारे एक समूह में उड़ते हैं. हर गुब्बारे के ऊपर एक एंटीना होता है जो सिग्नल पकड़ते भी हैं और फिर उसे ज़मीन पर फेंकते भी हैं. एक लून गुब्बारे का दायरा 40 किलोमीटर होता है.
अगर आपके पास इंटरनेट एंटीना है तो आप इस सिग्नल को पकड़ सकते हो. जैसे ही एक बैलून उड़ता हुआ इसके दायरे से बाहर जाता है, दूसरा आ जाता है.
आपको कभी पता भी नहीं चलता कि एक गुब्बारा चला गया है और उसकी जगह दूसरा आ गया है. यह आसमान में 20 किलोमीटर ऊपर उड़ते रिबन की तरह है- जिससे आपको इंटरनेट मिलता है.

हो सकता है कुछ सालों में आसमान में तारों की तरह लून गुब्बारों के कई समूह हों, जो पृथ्वी के आकाश में विचर रहे हों. बहुत से दूरदराज़ के इलाकों में घरों, खेतों, इंटरनेट कैफे में आपको ऐसे एंटीना दिखेंगे.
इससे ऐसे बहुत से लोग इंटरनेट से जुड़ेंगे जिन्हें यह पहले कभी उपलब्ध नहीं था.
सिर्फ़ यही नहीं, ऐसा भी हो सकता है कि हम इमरजेंसी परिस्थितियों में आम तौर पर पैदा होने वाली बाधाओं से मुक्ति पा सकें.
मान लें कि धरती पर भूकंप या बाढ़ की वजह से तबाही हो जाती है (जैसा नेपाल के भूकंप के बाद हुआ). यदि मोबाइल टावर गिर जाते हैं, या फिर अन्य कारणों से नेटवर्क कनेक्शन टूट जाता है, तो हम लून गुब्बारों को ज़्यादा संख्या में वहां छोड़ सकते है और इंटरनेट संपर्क आसानी से दोबारा स्थापित कर सकते हैं.

इन गुब्बारों को तुलनात्मक रूप से जल्दी जारी कर हम संपर्क की बाधाओं को ज़्यादा जल्दी और आसानी से दूर कर सकते हैं.
हो सकता है कि 10 साल में यह जीवन में इतना ज़्यादा शामिल हो जाए कि लोग कहने लगें – ”हां, ठीक है हमारे ऊपर लून गुब्बारे हैं जो इंटरनेट दे रहे हैं.”
ठीक वैसे ही जैसे आज हम सैटेलाइट से इंटरनेट सिग्नल पाने के बारे में बोलते हैं.
गूगल की एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत 30 ऐसे गुब्बारों को न्यूज़ीलैंड के साऊथ आइलैंड के ऊपर पोज़िशन किया गया है.
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