हमसे पूछो किसीको खोने का ग़म क्या होता है,
हँसते हँसते रोने का दर्द क्या होता है,
खुदा उसी से क्यों मिला देता है हमें,
जिसका साथ किस्मत में नहीं होता है।
तो रो दिए…
उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर,
अंजाम हमने इश्क़ का सोचा तो रो दिए,
बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गए,
साया कोई ख्याल से गुजरा तो रो दिए।
ग़म कोई समझ न पाया…
एक हसरत थी सच्चा प्यार पाने की,
मगर चल पड़ी आँधियां जमाने की,
मेरा ग़म तो कोई ना समझ पाया,
क्यूंकि मेरी आदत थी सबको हँसाने की।
तेरे इश्क़ का ग़म…
तुझको पा कर भी न कम हो सकी मेरी बेताबी,
इतना आसान तेरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं।
ग़म छुपाकर हँसने वाले…
आँसुओं से जिनकी आँखें नम नहीं,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नहीं?
तड़प कर रो दिए गर तुम तो क्या हुआ,
गम छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं।
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