21 अगस्त को साल 2017 का दूसरा सूर्यग्रहण दिखाई देगा। ये पूर्ण सूर्यग्रहण होगा जो कि यूरोप, उत्तर पूर्व एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका , दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक की ज्यादातर हिस्सो में दिखाई देगा।
99 साल बाद ये पहला मौका है जब सूर्यग्रहण को पूरे अमेरिका में देखा जा सकेगा। जाहिर है अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इस घटना के लिए उत्साहित है।इ ससे पूर्व इतना बड़ा ग्रहण उत्तर-अमेरिका में 8 जून 1918 को दिखाई दिया था। उस समय यह ग्रहण अमेरिका की सिंह लग्न की कुंडली के दशम भाव वृषभ राशि पर पड़ा था।
वर्ष 1918 में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका महाशक्ति के रूप में उभरना शुरू हो गया था। वर्तमान में यह विश्व की महाशक्तियों से एक है। मेदिनी ज्योतिष की गणना बताती है कि अगस्त में लगने वाला यह सूर्य ग्रहण अमेरिका के लिए शुभ नहीं है। इस ग्रहण से कुछ वर्षों में अमेरिका के पतन के प्रबल संकेत मिल रहे हैं।
21 अगस्त 2017, सोमवार को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूर्य ग्रहण का सूतक भारत में मान्य नहीं होगा। भारत में रहने वाले लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। भारत देश के लोगों को 21 अगस्त को लगने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
सूर्य ग्रहण 21 अगस्त की रात 9:16 PM भारतीय समय के अनुसार लगेगा और सूर्य ग्रहण की समाप्ति 22 अगस्त 2:34 AM पर होगी। 21 अगस्त को लगने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव उन लोगों पर हो सकता है जिनकी राहु या केतु की महादशा या अंतरदशा चल रह है या जिनकी कुंडली में ग्रहण दोष है, जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित है या जिनका कर्क लग्न है ऐसे लोगों को भी ये ग्रहण प्रभावित कर सकता है।
क्या है सूर्यग्रहण?
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है और फिर पृथ्वी के कुछ हिस्सों में सूर्य नहीं दिखाई देता है तो जिन हिस्सों में सूर्य नहीं दिखता है वहां सूर्य ग्रहण माना जाता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं जब आशिंक रूप से चंद्रमा ढकता है तो उसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।