
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में लगभग 2 करोड़ 10 लाख लोग ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हैं। जहां लड़कियों और महिलाओं को देह व्यापार में धकेल दिया जाता है, वहीं आदमियों को बंधुआ मजदूर बनाया जाता है।
इंटरनेशनल क्राइम इंडस्ट्री में मानव तस्करी तीसरे पायदान पर आता है। इसके पहले इलीगल ड्रग्स और हथियार की तस्करी का नंबर आता है। मानव तस्करों को हर साल 20 खरब से ज्यादा का फायदा होता है।
यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम के मुताबिक, मानव तस्करी में सबसे ज्यादा एशिया से लोगों को धकेला जाता है। इनमें ज्यादातर वैसे लोगों को फंसाया जाता है, जिन्हें पैसे कमाने की ललक होती है। ऐसे में उन्हें लालच देकर इस दलदल में उतार दिया जाता है।
इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन के मुताबिक दुनिया में करीब 21 मिलियन लोग मानव तस्करी का शिकार हो चुके हैं। इस हिसाब से पूरी दुनिया में मौजूद हर स्लेव की औसत कीमत लगभग 5,829 रुपए बैठती है।
ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार ज्यादातर महिलाएं रजिस्टर्ड रेड लाइट एरिया में सर्विस नहीं देतीं। कई महिलाएं स्पा, मसाज पार्लर और स्ट्रिप क्लबों में बेच दी जाती हैं।
अमेरिका में सेक्स ट्रेड में शामिल बच्चों की औसत आयु 12 से 14 साल तक होती है। इनमें से कई को इस धंधे में उतारने से पहले सेक्शुअली अब्यूज किया जाता है।
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक, हर साल करीब 6 लाख से लेकर 8 लाख लोगों को इलीगल तरीके से एक देश से दूसरे देश में बेचा जाता है। इनमें से आधे बच्चे और 80 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।