ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह हो जाता है डाँवा-डोल कभी ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा वगर्ना...
हर ख्वाहिश हो पूरी… दिल की हर ख्वाहिश पूरी हो आपके, और आपको मिले खुशियों का जहां, अगर आप मांगें आसमां का एक तारा, तो खुदा दे दे आपको सारा आसमां। जन्मदिन मुबारक हो। ख्वाहिश के समंदर… ख्वाहिश के समंदर के...
Asghar Gondvi (असग़र गोंडवी) 1884-1936 Shayari ***** चला जाता हूँ हँसता-खेलता मौजे-हवादिस* से अगर आसानियाँ हों जिन्दगी दुश्वार हो जाये मौजे-हवादिस – दुर्घटनाओं या हादसों की लहरें या तरंगें Chala jaata hun hansta-khelta mauje-hawadis se Agar aasaniyan hon zindagi dushwaar ho...
Firaq Gorakhpuri (फ़िराक़ गोरखपुरी) (1896 – 1982 ), Firaq Gorakhpuri / Best Shayari आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए Aaye the hanste khelte may-khaane mein ‘Firaq’ Jab pee chuke sharaab to sanzida ho...
आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब’ कोई दिन और भी जिए होते आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना ‘ग़ालिब’ किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बअ’द आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए साहब को दिल न देने पे...
याद करके रोये… तेरे पास से जो गुजरे तो बेखुदी में थे हम, कुछ दूर जाके संभले तुझे याद करके रोये। हर पल उनकी याद… नजरें उन्हें देखना चाहे तो आँखों का क्या कसूर, हर पल याद उनकी आये तो साँसों...
ज़िन्दगी की तरफ… जब रूह किसी बोझ से थक जाती है, एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है, मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन, ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है। हँसकर बिता लें जिंदगी… कल न हम होंगे...
ख़याल की छाँव… तपिश से बच कर घटाओं में बैठ जाते हैं, गए हुए की सदाओं में बैठ जाते हैं, हम अपनी उदासी से जब भी घबराये, तेरे ख़याल की छाँव में बैठ जाते हैं। ऐ नए साल बता… ऐ नए...
मुस्कुरा भर दो… निगाह उठे तो सुबह हो… झुके तो शाम हो जाये, एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाये। चाँद कहता रहा… तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा, चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ… मैं चाँद...
वो खुद नहीं आता… कभी यादें कभी आँखों में पानी भेज देता है, वो खुद आता नहीं अपनी निशानी भेज देता है। इस दौर में… इस दौर में अहसास-ए-वफ़ा ढूँढने वालो, सेहरा में कहाँ मिलते हैं दीवार के साए। इल्जाम ना...