पाकिस्तान के जबरन कब्जे वाले बलूचिस्तान प्रांत के जिला लसबेला में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में स्थित माता पार्वती का हिंगलाज मंदिर अतिप्राचीन है। हिंगलाज माता का यह मंदिर माता पार्वती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के महत्व का उल्लेख देवी भागवत पुराण सहित अन्य पुराणों में भी मिलता है।
तीर्थ यात्रा हिंगलाज :
हरेक वर्ष मार्च के महीने में भारी संख्या में हिन्दू इस शक्तिपीठ के दर्शन हेतु यहां आते हैं. साथ ही पाकिस्तान में स्थित इस शक्तिपीठ के दर्शन हेतु मुसलमान भी दूर-दूर से आते हैं.
इस शक्तिपीठ पर लोग-बाग एक प्रकाशमयी ज्योति के दर्शन करने आते हैं. हिंगलाज देवी कमोबेस वैसी ही हैं जैसी वैष्णो देवी गुफा के बीच दिखती हैं.
ऐसा माना जाता है कि जो लोग भी उनकी पूरी ज़िंदगी में एक बार भी यहां दर्शन हेतु आते हैं, उन्हें उनकी पिछले जन्म के पापों से छुटकारा मिल जाता है.
पुरातन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण को मारने के बाद जब राम चंद्र भी पाप के भागी बने तो पाप से मुक्ति हेतु वे हिंगलाज मंदिर तक गए थे. राम ने इस जगह पर एक यज्ञ का अनुष्ठान भी किया था.
ऐसी परम्परा है कि इस मंदिर में दर्शन को आने वाले लोग उनकी पिछली जन्म की गलतियों के लिए माफ़ी मांगते हैं और आगे वे ऐसी गलतियां न करें ऐसी मन्नत मांगते हैं. हालांकि वे लोग जो उनके पुरानी गलतियां छिपा लेते हैं उन्हें उनके साथी यहां छोड़ जाते हैं. गलती करने वाले को फिर एक चन्द्रकूप तक ले जाया जाता है, जो एक ज्वालामुखी के लावे से भी ज़्यादा गर्म होता है. यहां किसी ने सिवाय उबलते जल के कुछ भी नहीं देखा है.
इस शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए आपको अपने पासपोर्ट और वीज़ा को एकदम तैयार रखना होगा. हिंगलाज जाने के लिए यात्रा कराची से शुरू होती है. हिंगलाज की गुफा तक पहुंचने के बाद यहां लोग आकर आराम करते हैं और अगली सुबह के सूर्योदय के साथ ही वे यहां दर्शनादि हेतु निकलते हैं.
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