कल्याणकारी अर्थव्यवस्था के जनक कहे जाने वाले अमर्त्य सेन भारत के गिने-चुने “नोबेल पुरस्कार” विजेताओं में से एक हैं। अर्थशास्त्र विषय में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हे वर्ष 1998 में यह सम्मान प्रदान किया गया था। इसके बाद वर्ष 1999 में अमर्त्य सेन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से भी नवाज़ा गया था।

अर्थशास्त्र विषय में उनके महानतम योगदान के लिये मानवसमाज सदैव उनका ऋणी रहेगा। अर्थशास्त्र विषय में अपने असाधारण योगदान के लिए जब अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए नामांकित किया गया तब उन्होने सब से पहले अपनी माता को फोन पर यह बात बताई थी। परंतु उनकी माँ को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था की उनके पुत्र ने इतना बड़ा सम्मान अर्जित कर लिया है। जब उनकी माता नें समाचार पत्र और टेलीविज़न में यह खबर देखी तब वह बहुत प्रसन्न हुईं।
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अमर्त्य सेन संक्षिप्त परिचय
नाम -अमर्त्य कुमार सेन
जन्म -3 नवंबर 1933 शांति निकेतन, कोलकता, भारत
माता-पिता अमिता सेन – आशुतोष सेन
कार्यक्षेत्र – शिक्षा, अर्थशास्त्र
राष्ट्रीयता- भारतीय
शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीए, ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से बीए, एमए, पीएचडी
परिवार विवाह – अमर्त्य सेन ने तीन विवाह किए:
(1) नवनीता के साथ ( वर्ष 1956) (दो पुत्री – अंतरा सेन, नंदना सेन (बॉलीवुड अभिनेत्री)
(2) ईवा के साथ ( वर्ष 1985) (एक पुत्र और एक पुत्री – कबीर सेन, इद्राणी सेन)
(3) ऐक्मा रॉथशील के साथ ( वर्ष 1991)
उपलब्धि – नोबेल पुरस्कार विजेता, भारत रत्न

अमर्त्य सेन का प्रारंभिक जीवन-
अमर्त्य सेन एक संपन्न व सुशिक्षित बंगाली कायस्थ परिवार में जन्में थे। कोलकाता शहर के शांतिनिकेतन नामक स्थान पर जन्में अमर्त्य सेन के नाना का नाम क्षितिजमोहन सेन था, जो रबिन्द्रनाथ टैगोर के करीबी थे। अमर्त्य सेन के पिता ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाते थे। आगे चल कर अमर्त्य सेन नें प्रेसीडेंसी कॉलेज में शिक्षा हासिल की। उस के बाद उच्च शिक्षा हेतु वह इंग्लैंड में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज चले गए। वहाँ पर उन्होने वर्ष 1956 में बी॰ ए॰ की डिग्री हासिल की।उसके बाद उन्होने वर्ष 1959 में पी॰ एच॰ डी॰ किया।
? यह बात दिलचस्प है कि भारत के प्रथम नोबेल प्राइज विजेता रबिन्द्रनाथ टैगोर ने ही अमर्त्य सेन का नामकरण किया था.
अमर्त्य सेन नें अपने मूल विषय अर्थशास्त्र पर लगभग 215 शोध किए हैं। शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत स्वदेश गमन भारत लौटने के बाद अमर्त्य सेन जादवपुर विश्वविद्यालय से जुड़े। वहाँ उन्होने एक अर्थशास्त्र प्राध्यापक की भूमिका अदा की। उसके बाद उन्होने दिल्ली स्कूल ओफ़ इकोनॉमिक्स तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्यापक के तौर पर सेवाएँ दी थी। इनके अलावा वह अलग-अलग विद्यालयों में अतिथि अध्यापक और अर्थशास्त्री विशेषज्ञ के तौर पर जा कर अपना ज्ञान बांटते रहे हैं।

अमर्त्य सेन एक अर्थशास्त्री क्यों बने?
वर्ष 1943 में बंगाल राज्य में भयंकर काल पड़ा था। इस आपदा में कई लोग बेमौत मारे गए। इस त्रासदी के वक्त अमर्त्य सिर्फ दस वर्ष के थे। इस घटना का उन पर बहुत गहरा असर पड़ा था। इसी कारण आगे चल कर उनकी रुचि welfare economics विषय में काफी बढ़ गयी। उनका मानना था कि-
अर्थशास्त्र का सीधा संबंध समाज के निर्धन और उपेक्षित लोगों के सुधार से है।
अमर्त्य सेन की उदारता का परिचय-
नोबेल पुरस्कार अर्जित करने वाले व्यक्ति को पाँच करोड़ रूपये इनामी राशि दी जाती है। अमर्त्य सेन को जब इतनी धन राशि प्रदान की गयी तब उन्होने इस रकम से एक रुपैया अपने लिए नहीं रखा। उन्होने इस बड़ी रकम से एक समाज सेवा ट्रस्ट स्थापित किया। इस ट्रस्ट का मुख्य कार्य भारतीय गरीब विद्यार्थीयों को विदेश में उच्च शिक्षा दिलाने का है।

अमर्त्य सेन की दस प्रसिद्ध किताबें
पावर्टी एंड फेमाइंस (वर्ष 1981)
ऑन एथिक्स एंड इकोनोमिक्स (वर्ष 1987)
कोमोडिटीज़ एंड केपेबिलिटीज़ (वर्ष 1987)
हंगर एंड पब्लिक एक्शन (विथ जेन डेरेज) (वर्ष 1989)
इनइक्वालिटी रीएक्सामिंड (वर्ष 1992)
ऑन इकोनोमिक इनइक्वालिटी (वर्ष 1997)
डेवलपमेंट एज़ फ़्रीडम (वर्ष 1999)
इंडिया : डेवलपमेंट एंड पार्टीसीपेशन (विथ जेन डेरेज) (वर्ष 2002)
द आर्गयुमेंटेंटिव इंडियन (वर्ष 2005)
आइडेंटिटी एंड वायलेन्स (वर्ष 2006)
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अमर्त्य सेन के द्वारा अर्जित पुरस्कारों की सूची-
1. वर्ष 1954 में एडम स्मिथ प्राइज़ मिला।
2. वर्ष 1981 में फ़ोरेन आनरेरी मेम्बर ऑफ द अमेरिकन अकैडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज
3. वर्ष 1984 में इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज नें आनरेरी फ़ेलोशिप प्रदान की।
4. वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र विषय में नोबेल प्राइज़ जीता।
5. वर्ष 1999 में बांग्लादेश की आनरेरी राष्ट्रीयता हासिल की।
6. वर्ष 1999 में “भारत रत्न” अवार्ड जीता।
7. वर्ष 2000 में आर्डर ऑफ़ कंपैनियन ओफ़ ऑनर, बनें (यू के)।
8. वर्ष 2000 में लेओन्तीएफ़ पुरस्कार हासिल किया।
9. वर्ष 2000 में आइजनहावर मैडल फॉर लीडरशिप एंड सर्विस मिला।
10. वर्ष 2001 में अमर्त्य सेन 351 वें स्प एट हार्वर्ड बनें।
11. वर्ष 2004 में इंडियन चैम्बर्स ओफ़ कॉमर्स द्वारा लाइफ टाइम अचिवमेंट पुरस्कार दिया गया।
12. वर्ष 2005 में यूनिवर्सिटी ओफ़ पाविया से ओनरेरी डिग्री मिली।
13. वर्ष 2011 में नेशनल ह्यूमैनिटीज मैडल प्राप्त किया।
14. वर्ष 2012 में ऑर्डर ओफ़ द एज़टेक ईगल सम्मान मिला।
15. वर्ष 2013 में कमांडर ओफ़ द फ्रेंच लीजन ओफ़ ऑनर दिया गया।
16. वर्ष 2014 में अमर्त्य सेन का नाम ए॰ डी॰ टी॰ वी॰ द्वारा 25 ग्रेटेस्ट ग्लोबल लिविंग लेजेंड्स इन इंडिया“ में शामिल किया गया।
17. वर्ष 2015 में चार्ल्स्टन ई॰ एफ़॰ जी॰ जॉन मेनार्ड किन्स अवार्ड जीता।

अमर्त्य सेन के अनमोल विचार-
महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना है कि-
नारीजाती को बल प्रदान करने पर हम उस भविष्य को हासिल कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।
गरीबी के बारे में अमर्त्य सेन नें कहा है कि –
दरिद्रता मानव को सिर्फ अपनी आर्थिक ज़रूरतें पूरी करने से नहीं रोकती हैं वह एक इन्सान को अपनी वास्तविक प्रतिभा अनुसार प्रदर्शन करने से भी रोक देती है।
उनका मानना है कि –
मानवजाती के विकास में निवेश किए बिना किसी भी अर्थतंत्र का उदय संभव नहीं है।

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अमर्त्य का अर्थ-
“अमर्त्य” का शाब्दिक अर्थ अमर होता है। और अर्थशास्त्र के माध्यम से विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अमर्त्य सेन ने वास्तविकता में अपना नाम अमर कर दिया है। हम उन्हें सादर नमन करते हैं और उनके स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं।