खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक कि खलीफा के आवास के लोगों में भी वह विश्वस्त था और महल की उच्च सेविकाएँ उसी के यहाँ से वस्त्राभूषण आदि लिया करती थीं। खलीफा का कृपापात्र होने के कारण सभी प्रतिष्ठित नागरिक उसके ग्राहक थे और उसका व्यापार खूब चलता था। बका नामक एक अमीर का बेटा अबुल हसन विशेष रूप से उसका मित्र था और रोज दो-तीन घंटे उसकी दुकान पर बैठता था। बका फरस देश के अंतिम राजवंश का व्यक्ति था इसलिए अबुल हसन को भी शहजादा कहा जाता था।
अबुल हसन अत्यंत रूपवान युवक था। जो स्त्री-पुरुष भी उसे देखता वह मोहित हो जाता था। इसके अतिरिक्त अबुल हसन बड़ा कला प्रवीण था। गायन-वादन और कविता करने में भी वह अद्वितीय था। वह व्यापारी की दुकान में जब गाना-बजाना शुरू कर देता था तो उसे सुनने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी।