श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।

मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लस के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव भारत के ढेरों वैष्णव कृष्ण मंदिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है। यह मंदिर अपनी मान्यताओं और सिद्धियों के लिए भी काफ़ी प्रचलित है। कहते हैं सच्चे दिल से जो भी व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के दरबार में पहुंचता है, उसकी मन्नत ज़रूर पूरी होती है । वहीं आज भी इस मंदिर की कुछ बातें दुनिया भर के लिए रहस्य ही बन हुए हैं आईये जानते है इसके बारे में ….
1. मंदिर के गुबंद पर लहराता है ध्वज –
जगन्नाथ मंदिर के शिख़र पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है।

2. सुदर्शन चक्र –
पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे, तो वो आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।

3. खाना बनाने का अनोख़ा तरीका –
मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। इस प्रसाद को लकड़ी जलाकर पकाया जाता है, इस प्रक्रिया में ख़ास बात यह है कि सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद पहले पकता है।

4. सिंहद्वार –
मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही आप समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज़ को नहीं सुन सकते, लेकिन जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज़ सुनाई देने लगती है, शाम के वक़्त ये अहसास और भी आलौकिक और अद्भुत प्रतीत होता है।

5. मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते हैं पंछी और जहाज़ –
अमनून हर मंदिरों के शिख़र पर पक्षी को बैठे और उड़ते देखा होगा, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुज़रता । यहां तक कि हवाई जहाज़ भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता ।

6. कम नहीं पड़ता है अनाज –
मंदिर में हर रोज़ कुछ 2 हज़ार लोगों से लेकर 20 हज़ार लोग दर्शन के लिए आते हैं और भोजन भी करते हैं, फिर भी अन्न की कमी नहीं पड़ती है। हर समय पूरे वर्ष के लिए भंडार भरपूर रहता है।

7. मंदिर के शिख़र पर लगा झंडा –
मंदिर का एक पुजारी मंदिर के 45 मंज़िला शिख़र पर स्थित झंडे को हर रोज़ बदलता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो सकता है। झंडा बदलने की रीति 1800 सालों से चली आ रही है ।

8. मंदिर की छाया –
इस मंदिर का डिज़ाइन भी काफ़ी रहस्मयी है, क्योंकि दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिख़र की परछाई नहीं बनती ।

9. चक्र की स्थापना –
मंदिर के शिख़र पर लगे चक्र की कहानी भी काफ़ी रोचक है, इस चक्र की स्थापना का इतिहास 200 साल पुराना है, जो कि आज भी सभी के लिए एक अनसुलझी पहेली की तरह है ।

10. उल्टी हवा –
वैसे हवा समुद्र से ज़मीन की तरफ़ चलती और शाम को धरती से समुद्र की तरफ़, लेकिन पुरी में इसके बिल्कुल उल्टा होता है।
