1980 से 2000 के बीच जन्मे बच्चे आज के बच्चो से बहुत अलग हुआ करते थे। ऐसी थी 1980 से 2000 के बीच जन्मे बच्चे की ज़िंदगी ये सब बातें हमने हमारे बचपन में अनुभव नहीं की थी लेकिन आज हमें ये सब चीज़ें बड़ी खास लगती हैं। टेक्नोलॉजी के ज़माने में बच्चों को घर में बंद देखना और बाहर खुलकर दूसरे बच्चों के साथ ना खेलना हमें अपने बचपन के दिन याद दिला देता है की हम किस तरह पूरा दिन बाहर धुप में खेला करते थे आईये जानते है और कुछ मज़ेदार बाते …

1.उस समय में बच्चों के स्कूल बैग ज्यादा भारी नहीं हुआ करते थे और ना ही उन पर पढ़ाई का ज्यादा बोझ हुआ करता था जबकि आजकल बच्चों पर अपना करियर बनाने का दबाव रहता है।

2.आजकल के बच्चे हैल्थ सप्लीमेंट्री लेने के बावजूद भी काफी कमज़ोर हैं और बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। पहले के ज़माने में ऐसा बिलकुल नहीं था। तब बच्चे एक साथ खाना भी खाते थे और मिट्टी में खेलते थे लेकिन फिर भी बीमार बहुत ही कम पड़ते थे।

3.उस समय में टेक्निकल मनोरंजन के साधन बहुत ही कम हुआ करते थे और बच्चे गली में क्रिकेट और खिलौनों से खेलते थे। आजकल के बच्चे शारीरिक गेम्स से ज्यादा माइंड वाले गेम खेलते हैं।

हो सकता है कि आजकल के बच्चों को अपनी टेक्नोलॉजी वाली जिंदगी पसंद हो लेकिन हमारे लिए तो वही पुराना बचपन खास है जब हम अपने दोस्तों के साथ गली में क्रिकेट और खिलौनों के साथ खेला करते थे। इसलिए जगजीत सिंह जी ने अपनी एक ग़ज़ल में कहा है ‘

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी |
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी |