जीवन और मृत्यु सबसे बड़ा सच होती है। हर धर्म के हिसाब से मृत शरीर को जलाया जाता है। धर्म शास्त्रों का कहना है कि शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से, इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई की आभास होता है। जब शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है आईये जानतेहै इसके पीछे का सच …….

1.धार्मिक कारण :
शमशान भूमि पर लगातार ऐसा ही काम होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि स्त्रियां पुरुषों से, ज्यादा भावुक होती हैं, इसलिए उन्हें शमशान में जाने से रोका जाता है। दाह संस्कार के बाद भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है।

2. वैज्ञानिक कारण :
शव का अंतिम संस्कार होने से पहले ही वातावरण सूक्ष्म और संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है। इसके अलावा मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। इसलिए वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना बनी रहती है और वहां से लौटकर नहाने से संक्रामक कीटाणु पानी के साथ ही बह जाते हैंइसलिए नहाने का प्रावधान चला आ रहा है।