17 साल की लड़की ने सड़क पर बच्चा पैदा कर दिया ,डॉक्टर्स ने इस लिए मदद नहीं की क्यों की वो अविवाहित थी!.

जैसे-जैसे मेडिकल साइंस आगे बढ़ा है, बच्चे पैदा होने के दौरान होने वाली जच्चा-बच्चा मौतें कम हो गई हैं. हमें ये भरोसा है कि लगातार मांओं की हालत सुधर रही है.

मगर हम गलत हैं. एक 17 साल की लड़की झारखंड के चंदील शहर में सड़क पर बैठी हुई है. अस्पताल 100 मीटर से भी कम की दूरी पर है. मगर उसने सड़क पर बच्चा पैदा कर दिया है. बच्चे के शरीर से गर्भनाल काटने वाला भी कोई नहीं है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ ओम प्रकाश शर्मा नाम के स्थानीय निवासी ने लड़की को इस हाल में, खून से सना हुआ पाया. जिसके बाद इस वाकये की खबर बाक़ी लोगों को हुई.

‘वो बहुत बुरी हालत में थी. कांप रही थी. और अपने नवजात बच्चे को गोद में नहीं उठा पा रही थी. सड़क से भारी वाहन गुजर रहे थे. मगर उसके अंदर हिलने-डुलने की शक्ति ही नहीं थी. फिर हमने खुद ही उसके चारों तरफ सड़क को ब्लॉक करने वाले बैरियर लगा दिए. उसके बाद कम्युनिटी हेल्थ सेंटर को खबर कर लड़की को वहां से ले जाने को कहा.’

लड़की का अंततः तब इलाज हुआ जब स्थानीय लोगों ने उसे रिक्शे पर बैठाकर पास के हेल्थ सेंटर में पहुंचाया. बाद में वहां के लोगों ने जब डॉक्टर से पूछा कि लड़की का समय से इलाज क्यों नहीं किया गया तो डॉक्टरों का जवाब डराने वाला था.

लेकिन डॉक्टर्स ने इस गैर-शादीशुदा लड़की की मदद करने से मना कर दिया. इसलिए क्योंकि पहले तो वो अविवाहित थी, दूसरा, उसके साथ कोई भी नहीं था. जब पुलिस को खबर की गई, तब डॉक्टर्स बच्चे की गर्भनाल काटने आए. जब वो डॉक्टर्स के पास पहुंची, उसका पूरा शरीर खून से सना हुआ था. और उसके हाथ में उसका बच्चा और बच्चे के साथ बाहर आने वाले शरीर के टिशू थे. अस्पताल की एक डॉक्टर ललिता कश्यप से जब बात करने की कोशिश की गई, उन्होंने ये कहते हुए पल्ला झाड़ दिया कि अस्प्ताल में स्टाफ नहीं था. अब पुलिस कितना भी आश्वासन दे दे कि वो मसले की जांच करेगी, लड़की के जीवन के उस हिस्से को कोई मिटा नहीं सकता, जिसमें उसने सड़क पर बच्चा डिलीवर करने की पीड़ा, शर्म और ट्रॉमा झेला–तब, जब उसका बच्चा उसके हाथ में रोता रहा और उसका शरीर इतना कमजोर था कि उसे निर्जीव महसूस हो रहा था.

हम मान सकते हैं कि लड़की की डिलीवरी करवाने के लिए अस्पताल में स्टाफ कम था. मगर ये बात भी हम सभी जानते हैं कि औरतों से उनकी स्वास्थ्य की बेहतरी के जितने भी वादे किए जाएं, अस्पतालों के इलाज करने का तरीका बहुत ही पारंपरिक और नैतिक होता है. किसी भी वजह से औरत की डिलीवरी करवाने से वो मना कर सकते हैं. आधार कार्ड न होने से लेकर कोई साथी न होने तक. आज लड़की और उसकी बच्ची दोनों जीवित हैं. मगर जिन परिस्थितियों, जिस गंदगी में लड़की ने जन्म दिया है, मां और बच्ची, दोनों को इन्फेक्शन का खतरा था, जो किसी की या दोनों की ही जान ले सकता था.

जिस वजह से लड़की को सड़क पर बच्चा पैदा करना पड़ा, वो असल में नैतिक है. एक नैतिकता होती है जो हमें अगले का दर्द समझने और जान बचाने के लिए प्रेरित करती है. लेकिन एक नैतिकता होती है जो दकियानूसी परंपराओं से प्रेरित होती है. ये वैसी ही नैतिकता है जो ये समझती है कि एक अविवाहित लड़की की डिलीवरी करवाकर वो कोई बुरा काम कर देंगे. क्योंकि शादी के पहले सेक्स करना हमारे समाज में एक टैबू है. जो लड़कियां पढ़ी-लिखी नहीं होतीं, उन्हें शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का ज्यादा खतरा होता है. ऐसे में मुमकिन है कि जिस पुरुष ने उनसे ‘प्रेम’ के वादे किए थे, उनकी प्रेग्नेंसी का पता चलते ही उन्हें छोड़कर चला जाए.