पैदा होते बेटे को देखने के बजाए जवान ने चुनी सरहद, तिरंगे में लिपट कर लौटा तो पत्नी ने किया सलाम

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में अंबुशट में आतंकियों से हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से जख्मी हुए गुरदासपुर शहर से साथ सट्‌टे गांव समराला के रहने वाले सैनिक सुखदयाल की दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई। देर रात सुखदयाल के शहीद होने की खबर उसके परिवार वालो के पास पहुंची तो घर में चीखे पुकार मच गई और गांव में मातम का माहौल छा गया।

बता दें कि पिछले शनिवार को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से सुखदयाल जख्मी हो गए थे। इसके बाद उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती रखा गया था। गांव समराला का रहने वाला सुखदयाल 20-6-2013 को 28 आरआर युनिट में सिपाही भर्ती हुए थे। दिसंबर 2016 में सुखदयाल की शादी पल्लवी से हुई।

पत्नी के गर्भवती होने पर डेढ़ महीने पहले ही सुखदयाल घर में छुट्‌टी पर आया था। उसके बाद सुखदयाल छुट्‌टी खत्म होने पर वापिस डयूटी पर चला गया।

सुखदयाल के डयूटी जाने के 4 दिन बाद पत्नी ने बेटे को जन्म दिया। घर में नवजन्मे बेटा होने पर खुशियों का माहौल चल रहा था कि सोमवार देर रात सुखदयाल की शहीद होने की खबर घर में पहुंची तो मातम छा गया। मां संतोष कुमारी, भाई, बहनों व रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल था। मां संतोष कुमारी ने नम आंखों से बताया कि उसका सबसे छोटा बेटा सुखदयाल बचपन से आर्मी में भर्ती होने की बाते करता था और कहता था कि वह देश की सेवा करेंगा और दुश्मनों को मार गिराएगा। उसने मेहनत व लगन से आर्मी में भर्ती हुआ था। खबर लिखे जाने तक सुखदयाल का शव अभी घर नहीं पहुंचा था।

सोमवार रात से परिवार वालों ने सुखदयाल के शहीद होने की पत्नी पल्लवी को बात नहीं बताई थी। जब मंगलवार सुबह पल्लवी को पति के शहीद होने की खबर पता चली तो वह बेटे प्रणांश को सीने से लगा रोते-रोते बेसुध हो गई। मां, पत्नी, भाई-बहनों को रो-रोकर बुरा हाल है। गांव वासियों के मुताबिक मंगलवार देर शाम तक सुखदयाल का शव गांव में पहुंचने की उम्मीद है।