पिता और पुत्र के बीच का रिश्ता

यूं तो हम में से ज़्यादातर लोग बचपन में पिता की तुलना में मां के ज्यादा करीब होते हैं और पिता से कुछ डरते और झिझकते भी हैं; लेकिन उम्र और समझ बढ़ने पर अहसास होता है कि पिता से बढ़िया और परिपक्व कोई दोस्त नहीं होता। उनसे बड़ा हमारा कोई हितैषी नहीं हो सकता और हम उनसे अपने मन की हर बात कह सकते हैं क्यूंकि केवल वही हमें ऐसी राय देंगे जो हमेशा हमारी भलाई के लिए होगा। हम जीवन में सही राह से न भटके इसके लिए वे हमें डाटते और फटकारते भी हैं, सच्चे मित्र का यही तो कर्त्तव्य है।
माँ और बेटी के बीच का रिश्ता
पिता और पुत्र की भांति ही एक अद्भुत तालमेल मां और बेटी के बीच भी देखने को मिलता है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि मां और बेटे के बीच प्रेम कम होता है, लेकिन मां-बेटी के बीच परस्पर सहयोग और तालमेल का जो स्तर देखने को मिलता है, वो अतुलनीय है। अक्सर देखने को मिलता है कि कई बार बेटे माता-पिता का इतना ख़्याल नहीं रख पाते, जितना की बेटियां रखी पाती हैं!
मित्रता के इस अद्भुत बंधन के बारे में आप क्या सोचते हैं हमसे जरूर बांटे आखिरकार एक ब्लॉग और उसे रीडर्स के बीच में भी एक अद्भुत बंधन होता है, एक सच्चे दोस्त की तरह ही हम भी आपको सच्चे राह पर चलने और सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं।
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