रात के जैसे ही 12 बजे और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उद्घोष हुआ तो मंदिर परिसरों में घण्टे-घडियाल की गूंज ने आकाश तक सुनाई देने लगी। नंदनंदन के दर्शन के लिये श्रद्धालुओं में होड़ लगी हुई थी।
पंचामृत स्वरूप भगवान का चरणामृत लेकर श्रद्धालुओँ ने अपना व्रत तोड़ा और प्रसाद गृहण किया।